अधूरी ये जिंदगी अधूरा ये सफर
ये जिंदगी, कैसी जिंदगी ।
जिसके लिए ख्वाहिशों को खोना है।
ये जिंदगी कैसी जिंदगी ,
जो खामोशी से सिर्फ बिताना है।
ये जिंदगी कैसी जिंदगी ,
जो सुबह शाम उलझने लाती है।
सहारा ढूंढते ढूंढते आंखों में ,
हर पल अंधेरा छा जाता है।
चलते चलते थक गया हूं ऐसे,
जैसे याद आता ही नहीं
की बचपन हमने खेल खेल में
साथियों के साथ बिताया हीं नहीं,
महसूस होता है ऐसा
जैसे जिंदगी भर खाया हीं नहीं।
तमन्ना थी मुझको तस्वीर देखने की उनकी
जिसने जन्म दिया पर कभी मिली हीं नहीं,
याद आती है उनकी हर पल मुझे,
उनका प्यार आज भी रुलाता है मुझको
सूनी सी लगती है हर सुबह, हर शाम,
अधूरा यह जीवन, अधूरा ये सफर।
और कुछ की मुझे चाहत भी नहीं,
और कुछ मुझे खोना भी नही।
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