वो मेरी थी
//वो मेरी थी//
पहचान वालों का पहचान,
खामोशी से करीब लाता है,
दिल देने वालों को इश्क में,
एक इशारा हीं काफी होता है।
उसके बारे में जो सोंचता था मैं,
बताने से पहले हीं समझ जाती थी,
लगता है वो इंसान नही थी,
एक फरिश्ता, एक फरिश्ता थी,
सच यही है, अहसास दिलाने की,
हमने उनको प्यार किया, लेकिन,
इशारा उनसे आज तक मिला नहीं।
फ़िदा हूं मैं, फ़िदा हूं उनपर,
सिर्फ उनके लिए,
बचपन में प्यार से देखा उनको,
जवानी में तमन्ना थी दिल मिलने की,
बिछड़ गया, बिछड़ गया वो रिश्ता,
बीत गया वक्त, अपने अंदाज से,
लेकिन मेरी चाहत आज भी खोई नही,
हर वक्त दिल की पुकार सुनता हूं मैं,
लगता है, लहराती हैं धड़कने दिल की।
ख्वाईश है एक बार मिलने की उनसे,
हो न हो जैसी थी वो उस दिन,
चाहता हूं मैं आज भी
तन, मन, ध्यान से उसको,
वो मेरी थी, वो मेरी है,
वो मेरी हीं रहेगी।
पहचान वालों का पहचान,
खामोशी से करीब लाता है,
दिल देने वालों को इश्क में,
एक इशारा हीं काफी होता है।
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