दो गज जमीन

  



// दो गज जमीन //

जब पूरा गुलशन खिलता है,

अपने हीं आंगन में,
जब पूरा गुलशन खिलता है,
अपने हीं आंगन में,
हर सुबह, हर शाम,
दिल दुखाने की जरूरत क्या है,
जब खुशी झलक रही आंखो में,
आंसू बहाना बेकार है।

प्यार की जरूरत है जैसे,
प्यार की जरूरत है जैसे,
जिंदगी जीने के लिए,
खुशी की जरूरत है वैसे,
उलझनों से खुद को
बचाने के लिए।

प्यास बुझती है पीने से,
प्यास बुझती है पीने से,
गम भी भींग जाता है
आंसू बहाने से,
किसीके पलकों के आंसू,
रुलाते हैं किसी और को भी,
बदल जाती  है हकीकत,
जब ढल जाता है अंधेरा ,
सूरज के दामन में।

दिल से है सांसों का बंधन,
दिल से है सांसों का बंधन,
जबसे हमने जन्म लिया,
धड़कनों का अटूट ये रिश्ता,
हमने कब इनकार किया।

ख्वाईश है हर इंसान की,
ख्वाईश है हर इंसान की,
सालों साल जीने की,
खुशियां बांटने की,
पर एक दिन अचानक,
मौत खड़ी हो जाती है सामने,
मुस्कुराते हुए "बुलावा"
लिए हाथों में,
जुड़े हुए रिश्ते टूट जाते हैं,
आखिरी सांसों से।

यह भी हकीकत है,
यह भी हकीकत है,
यह भी होना है,
छोटा है जीने का ये सफर,
हमेशा मुस्कुराते रहो,
जी भर के जियो,
प्यार से प्यार बांटते रहो।

रोते रोते जन्म लिया,
रुलाकर सभीको जाना है,
रोते रोते जन्म लिया,
रुलाकर सभीको जाना है,
"दो गज जमीन"
सबको सबसे प्यारा है,
सबको सबसे प्यारा है।

মন্তব্যসমূহ

এই ব্লগটি থেকে জনপ্রিয় পোস্টগুলি

একেই কি বলে নরক

লালবাবু

हम हैं भारतवासी